कैसे आयेंगे भगवान, कैसे आयेंगे भगवान
बचपन बीता गई जवानी
अब तो आ गया बुढ़ापा
प्रभु जी का याद न आया कभी
तू बैठा रहा हाथ पर हाथ रखकर
कैसे आयेंगे भगवान, कैसे आयेंगे भगवान।
खुद तो आगे बढ़ा नही
टोकता रहा तू दूसरो को
लोभ स्वार्थ के वशीभूत रहा यह जीवन
गरीबों को गला लगाया नही
कैसे आयेंगे भगवान, कैसे आयेंगे भगवान।
सद्कर्मों के तप बल से
अपने जीवन का मान बढ़ाया नही
सत्संग से तो दूर रहा और
तृष्णाओं में बीता तेरा जीवन
कैसे आयेंगे भगवान, कैसे आयेंगे भगवान।
तेरे हृदय अंदर बैठा है प्रभु जी
अंतर्मन की आवाज को कभी सुना नही
तेरी सोंच है बहुत अजब गजब
माता पिता गुरु जी का बातें माने नही
कैसे आयेंगे भगवान, कैसे आयेंगे भगवान।
झगड़े बहुत किया है तुमने
कारण है कटु बोल
निश्चल प्रेम को जाना नही
और प्रलोभन में ही डूबा रहा
कैसे आयेंगे भगवान, कैसे आयेंगे भगवान।
नूतन लाल साहू
ऋषभ दिव्येन्द्र
26-May-2023 12:32 PM
वाह
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Haaya meer
26-May-2023 09:34 AM
Nice
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